येरुशलम: इजराइल और हमास के बीच चल रही जंग में कई तरह के सनसनीखेज खुलासे हो रहे हैं। हमास को किस देश से और कैसी मदद मिली है, अब इस राज से पर्दा उठ रहा है। जून 2021 में पाकिस्तान के पूर्व राजनयिक और वरिष्ठ सांसद रजा जफर उल हक ने सार्वजनिक तौर पर यह बात स्वीकार किया था कि पाकिस्तान की आर्मी ने गाजा पट्टी में हमास के लड़ाकों को मिलिट्री ट्रेनिंग दी है। हमास के लिए यह ट्रेनिंग प्लेटफार्म लंबे समय से संचालित हो रहा है। यह बात भी सामने आई कि पाकिस्तानी आर्मी ने अपनी स्पेशल कमांडो यूनिट की एक बटालियन को गाजा में भेजा था। अब इजराइल पर हमास के अटैक के बाद दोबारा से वही बात कही जा रही है। चीन की एक कंपनी द्वारा तैयार स्टील से वे हथियार बने हैं, जिन्होंने इजराइल में तबाही मचाई है। इस विवाद में चीन के साथ रूस भी खुद को फायदे की पॉजिशन में देख रहा है।
कंपनी द्वारा तैयार स्टील का इस्तेमाल हुआ: सुरक्षा विशेषज्ञों द्वारा ऐसी संभावना जताई है कि हमास के पास जो मोर्टार हैं, मैन पोर्टेबल एयर डिफेंस सिस्टम है, इनके निर्माण में चीन की ले येंग कंपनी द्वारा तैयार स्टील का इस्तेमाल हुआ है। उल्लेखनीय है कि ले येंग स्टील पाइप फैक्ट्री में निर्मित सामान दुनिया के विभिन्न हिस्सों तक पहुंचता है। कंपनी के माल का इस्तेमाल किस प्रोजेक्ट या उपकरण तैयार करने में होता है, यह जानकारी फैक्ट्री के पास नहीं होती।
पाकिस्तान की सक्रिय भूमिका
दूसरी तरफ हमास के लड़ाकों की ट्रेनिंग में पाकिस्तान की सक्रिय भूमिका बताई जा रही है। रजा जफर उल हक ने कहा था, जब मैं ट्यूनिशिया गया तो वहां अबू जिहाद (खलीद अल वजीर) उस समय जिंदा थे। उन्होंने एक बड़ा खुलासा किया था। अबू जिहाद ने रजा जफर को बताया था कि हमास की जब कभी इजराइल के साथ लड़ाई होती है तो उसमें सबसे ज्यादा संख्या उन लड़ाकों की रहती है, जिन्हें पाकिस्तान से मिलिट्री ट्रेनिंग मिली होती है। वह ट्रेनिंग नियमित तौर पर जारी है। गाजा में सक्रिय रही फतह पार्टी के सह संस्थापकों में अबू जिहाद भी शामिल थे।
विपक्षी नेता रहे हैं उल हक
रजा जफर उल हक, अगस्त 2018 से मार्च 2021 तक पाकिस्तानी संसद में विपक्ष के नेता रहे थे। जिया-उल-हक के कार्यकाल में उन्होंने मिस्त्र के राजदूत का कार्यभार संभाला था। जब कभी इजराइल और हमास के बीच लड़ाई होती है तो पाकिस्तान में उस पर तीखी प्रतिक्रिया जाहिर की जाती है। वहां के लोगों में हमास के प्रति हमदर्दी देखी जाती है। कई बार वहां के लोगों ने इजराइल के खिलाफ प्रदर्शन किया है। जब इमरान खान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री थे तो उनकी सरकार ने फिलिस्तीन को मदद देने का फैसला किया था।