छत्तीसगढ़ के बिजली उत्पादन में कोयला नहीं बनेगा रोड़ा, अब नहीं आएगी प्लांट को बंद करने की नौबत
छत्तीसगढ़ पावर प्लांट मड़वा में ही एसईसीएल द्वारा कोयले की आपूर्ति नहीं करने की वजह से कई दिनों तक प्लांट बंद तक करना पड़ गया
रायपुर. बिजली उत्पादन के लिए लगातार कोयला संकट से जूझ रही छत्तीसगढ़ स्टेट पॉवर कंपनी ने बड़ा कदम उठाया है। कंपनी ने अपने थर्मल पावर प्लांटों में खुद की कोयला खदानों से आपूर्ति करने की तैयारी कर ली है। इससे न सिर्फ कंपनी की बिजली उत्पादन बढ़ेगा बल्कि प्लांट रुकने से कंपनी को होने वाले राजस्व का नुकसान भी नहीं होगा।
हर दिन लगभग 15 हजार टन कोयले की होती है जरूरत
दरअसल बिजली कंपनी के 1000 मेगवॉट मड़वा पावर प्लांट में बिजली उत्पादन के लिए हर दिन लगभग 15 हजार टन कोयले की जरूरत होती है। लेकिन आपूर्ति बाधित होने की स्थिति में आए दिन प्लांट को बंद करने की नौबत आती थी।
इसे देखते हुए बिजली कंपनी अब अपने खुद के रायगढ़ स्थित गारे पेलमा खदान से कोयले की आपूर्ति करेगी। मार्च 2020 तक पांच लाख टन कोयला निकाले का लक्ष्य रखा गया है। इसमें अब तक ढाई लाख टन कोयला निकाला जा चुका है। 20 साल के लिए अनुबंध हुए इस प्लांट में बिजली कंपनी द्वारा एजेंसी के माध्यम से हर साल 15 लाख टन कोयला निकाला जाएगा।
700 करोड़ से अधिक का नुकसान
अधिकारियों के अनुसार पिछले वर्ष कोयले की कमी से जूझ रही बिजली कंपनी को लगभग 700 करोड़ से अधिक का नुकसान हुआ था। मड़वा में ही एसईसीएल द्वारा कोयले की आपूर्ति नहीं करने की वजह से कई दिनों तक प्लांट बंद तक करना पड़ गया था।
इससे बिजली कंपनी को वर्षभर के राजस्व में लगभग 10 फीसद तक का नुकसान झेलना पड़ा था। स्थिति को देखते हुए बिजली कंपनी ने कोयले को लेकर आत्मनिर्भर बनने के लिए बड़ा कदम उठाया।
मांग और आपूर्ति के बीच150 मिलियन टन से अधिक की कमी
बिजली सहित अन्य प्लांटों के लिए कोयले की भूमिका अहम है। मौजूदा स्थिति में भारत में कोयले की मांग और आपूर्ति के बीच 150 मिलियन टन से अधिक की कमी है। केंद्र के सर्वे के अनुसार राज्य में 222 कोल ब्लॉक की पहचान की गई है।
इसमें हसदेव, अरण्य, मांड रायगढ़, सोनहत, लखनपुर और सोहागपुर जैसे स्थान भी शामिल हैं। इधर बिजली कंपनी से इतर बात करें तो परसाकोल परियोजना आगामी चार वर्षों में राज्य को 1704 करोड़ स्र्पये राजस्व मिलने का अनुमान है, जो कहीं न कहीं स्थिति को बेहतर करने में अपनी मुख्य भूमिका निभा रही है।
कोयला थी बिजली उत्पादन की मुख्य वजह
बिजली उत्पादन को प्रभावित करने की मुख्य वजह कोयला थी। आपूर्ति प्रभावित होने से जनरेशन कंपनी को काफी नुकसान हो रहा था। अब हमारे मड़वा में कोयले की आपूर्ति खुद के गारे पेलमा खदान से करेंगे। हमारे अन्य थर्मल प्लांटों को भी कोयले को लेकर आत्मनिर्भर बनाएंगे।