आज से शुरू होगा ब्रिटेन में कोरोना टीकाकरण, लोगों को दी जाएगी फाइजर वैक्सीन की खुराक

लंदन। ब्रिटेन फाइजर/बायोएनटेक द्वारा तैयार की गई वैक्सीन को प्रयोग करने वाला पहला देश बन जाएगा। सरकार ने कहा है कि सबसे पहले वैक्सीन अस्पतालों में मुहैया कराई जाएगी, इसके बाद ही क्लिनिकों पर उपलब्ध होगी।
देश में मंगलवार से टीकाकरण का अभियान शुरू हो जाएगा। ब्रिटेन की राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा (एनएचएस) टीकाकरण में 80 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों, स्वास्थ्य सेवा कर्मचारियों और फ्रंटलाइन वर्कर्स को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रहा है।
ब्रिटेन ने पिछले हफ्ते ही फाइजर/बायोएनटेक द्वारा तैयार की गई वैक्सीन को आपातकाल प्रयोग के लिए अनुमति दी थी। ऐसा करने वाला वह पहला देश बन गया था। कोरोना से लड़ने के लिए होने वाले टीकाकरण को लेकर बताया गया है कि यह अब तक के इतिहास में सबसे महत्वपूर्ण जन टीकाकरण कार्यक्रम होने वाला है।
इंग्लैंड में, 50 अस्पतालों को शुरू में वैक्सीन के संचालन के लिए हब के रूप में चुना गया है। स्कॉटलैंड, वेल्स और उत्तरी आयरलैंड भी मंगलवार से अस्पतालों से अपने टीकाकरण कार्यक्रम की शुरुआत करेंगे। दक्षिण लंदन में क्रॉयडन विश्वविद्यालय अस्पताल रविवार को वैक्सीन की डिलीवरी लेने वाला ब्रिटेन का पहला अस्पताल बन गया।
वैक्सीन की लगभग 8,00,000 खुराक के अगले सप्ताह से यूके में उपलब्ध होने की उम्मीद है। हालांकि, सरकार ने अभी तक चार करोड़ वैक्सीन खुराक का ऑर्डर दिया है। ये दो करोड़ जनता के टीकाकरण के लिए पर्याप्त हैं, जिन्हें 21 दिनों के अंतराल में वैक्सीन की दो खुराक दी जाने वाली है।
टीका लगवाने वालों के लिए जारी होगा कार्ड
ब्रिटेन में कोरोना टीका लगवाने वालों को कार्ड जारी किया जाएगा। कार्ड पर मरीज का नाम, पता और वैक्सीन का बैच नंबर लिखा जाएगा। रिपोर्ट के मुताबिक, प्रत्येक संक्रमित को फाइजर वैक्सीन के लिए दो डोज लेने होंगे। दूसरी बार आने पर कार्ड दिखाना होगा।
स्वास्थ्य सचिव ने बताया ऐतिहासिक क्षण
ब्रिटेन के स्वास्थ्य सचिव मैट हैनकॉक ने कहा, आने वाला सप्ताह एक ऐतिहासिक क्षण होगा क्योंकि हम कोविड-19 के खिलाफ टीकाकरण की शुरुआत करेंगे। हम सबसे पहले इसकी चपेट में आने की अधिक संभावना वाले लोगों और 80 से अधिक उम्र के लोगों को प्राथमिकता दे रहे हैं। होम स्टाफ और एनएचएस सहयोगी वैक्सीन प्राप्त करने वाले पहले लोगों में से एक होंगे।
उन्होंने कहा, मैं हर किसी से आग्रह करता हूं कि वे इस वायरस से लड़ने के लिए अपनी भूमिका निभाएं और एनएचएस द्वारा किए जाने वाले इस महत्वपूर्ण कार्य के दौरान उनकी सुरक्षा के लिए स्थानीय प्रतिबंधों का पालन करें।
कैसे काम करती है फाइजर/बायोएनटेक की वैक्सीन ?
ये एक नई तरह की एमआरएनए कोरोना वैक्सीन है, जिसमें महामारी के दौरान इकट्ठा किए कोरोना वायरस के जेनेटिक कोड के छोटे टुकड़ों को इस्तेमाल किया गया है। कंपनी के अनुसार जेनेटिक कोड के छोटे टुकड़े शरीर के भीतर रोग प्रतिरोधक शक्ति को बढ़ाते हैं और कोविड-19 के खिलाफ शरीर को लड़ने के लिए तैयार करते हैं। इससे पहले तक मानव शरीर पर प्रयोग के लिए एमआरएनए वैक्सीन को मंजूरी नहीं दी गई है। हालांकि क्लिनिकल ट्रायल के दौरान लोगों को इस तरह की वैक्सीन के डोज दिए गए हैं।
वैक्सीन को मानव शरीर में इंजेक्ट किया जाता है। ये इम्यून सिस्टम को कोरोना वायरस से लड़ने के लिए एंटीबॉडी बनाने और टी-सेल को सक्रिय कर संक्रमित कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए कहती हैं। इसके बाद अगर व्यक्ति कोविड-19 से संक्रमित होता है तो उसके शरीर में बनी एंटीबॉडी और टी-सेल वायरस से लड़ने में जुट जाती हैं। वैक्सीन को-70 डिग्री पर स्टोर करना होता है और इन्हें खास डिब्बों में पैक करना होता है।