शाहीन बाग में सीएए के खिलाफ 98 दिन से जारी प्रदर्शन पर ब्रेक, लखनऊ और मुंबई में भी धरना अस्थाई तौर पर खत्म
दिल्ली के शाहीन बाग में सबसे पहले धरना शुरू हुआ था, रास्ता खोलने के लिए मामला सुप्रीम कोर्ट भी पहुंचा था
नई दिल्ली/मुंबई/लखनऊ. वैश्विक महामारी कोरोनावायरस देश के 23 राज्यों में फैल चुका है। भारत के 75 जिले 31 मार्च तक लॉकडाउन किए गए हैं। इसके बाद नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ शाहीन बाग, लखनऊ और मुंबई में लंबे वक्त से जारी धरना अस्थाई तौर पर खत्म हो गया। सोमवार को दिल्ली के शाहीन बाग में पंडाल खाली मिले और यहां इक्के-दुक्के लोग ही नजर आए। वहीं, लखनऊ के घंटाघर और मुंबई के मोरलैंड रोड को प्रदर्शनकारियों ने खाली कर दिया है। कोरोना से लड़ाई के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील पर रविवार को देशभर में जनता ने कर्फ्यू लगाया था।
दिल्ली: सीएए, एनआरसी और एनपीआर के खिलाफ राजधानी के शाहीन बाग में 98 दिन से सैकड़ों प्रदर्शनकारी धरने पर बैठे थे। उन्हें हटाकर ओखला इलाके के रास्ते खाली कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने वार्ताकार नियुक्त किए थे। काफी कोशिशों के बाद भी धरनास्थल को खाली नहीं कराया जा सका था, लेकिन अब लॉकडाउन के कारण प्रदर्शनकारी हटने को तैयार हुए।
लखनऊ: यहां के घंटाघर पर पिछले करीब 66 दिन से सैकड़ों महिलाएं सीएए, एनआरसी और एनपीआर के खिलाफ धरने पर बैठी थीं। इसे भी कोरोना के खतरे और लॉकडाउन के मद्देनजर वापस ले लिया गया है। महिलाओं ने एक खत में कहा कि कोरोना खत्म होने पर प्रदर्शन फिर शुरू होगा। इस दौरान उन्होंने सांकेतिक तौर पर अपने दुपट्टे घंटाघर पर ही छोड़ दिए। रविवार रात प्रदर्शनकारियों ने यह जगह खाली कर दी, इसके बाद सोमवार सुबह प्रशासन ने घंटाघर और आसपास के इलाके की सफाई कराई।
मुंबई: यहां के मोरलैंड रोड पर भी नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ पिछले 50 दिनों से प्रदर्शन चल रहा था। सोमवार को कोरोना संक्रमण के खतरे और लॉकडाउन को देखते हुए इसे भी रद्द कर दिया गया।