लॉकडाउन से भोपाल में फंसे कई विद्यार्थी, गुजर-बसर करना मुश्किल
निजी हॉस्टल में रहने वाले छात्रों के सामने भोजन समेत दैनिक उपयोग की वस्तुओं का संकट खड़ा होता जा रहा है।
भोपाल, लॉकडाउन की वजह से विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों के हॉस्टलों समेत राजधानी के विभिन्न निजी और सरकारी हॉस्टलों में करीब 500 छात्र फंस गए हैं। शैक्षणिक संस्थानों में छात्रों के रहने और खाने का इंतजाम संबंधित संस्थान का प्रबंधन कर रहा है। लेकिन निजी हॉस्टल में रहने वाले छात्रों के सामने भोजन समेत दैनिक उपयोग की वस्तुओं का संकट खड़ा होता जा रहा है। यह छात्र जैसे-तैसे अपना गुजर-बसर कर रहे हैं। कुछ दिन में हालात सामान्य नहीं हुए तो इन छात्रों की मुसीबतें और बढ़ जाएंगी। अब परिवहन के सारे संसाधन बंद होने से यह छात्र राजधानी से बाहर भी नहीं जा सकते हैं। दरअसल, लॉकडाउन के पहले ही राजधानी के शैक्षणिक संस्थानों ने उनके हॉस्टल में रहने वाले छात्रों के हॉस्टल खाली कराने शुरू कर दिए थे। लेकिन अधिकांश निजी हॉस्टल संचालकों ने इस मामले में लापरवाही बरती। इस वजह से छात्र राजधानी में ही फंसकर रह गए हैं। अब इन छात्रों के सामने भोजन से लेकर अन्य रोजमर्रा के सामान का संकट खड़ा हो रहा है।
मैनिट में सिर्फ एनआरआई को अनुमति
मौलाना आजाद नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में शुरुआत में सैनिटाइजेशन कराया गया था। लेकिन स्थिति बिगड़ती देख हॉस्टल भी लॉकडाउन के पहले खाली करा लिए गए थे। हालांकि, एनआरआई छात्रों को रहने के लिए अनुमति दे दी गई है। इसकी वजह यह है कि सारी इंटरनेशनल फ्लाइट्स बंद हो गई थी। वैसे तो अधिकांश छात्रों को लॉकडाउन के पहले ही विश्वविद्यालय बंद कर दिया गया था। साथ ही विश्वविद्यालय में रहने वाले हॉस्टलों को खाली कर लिया गया था। लेकिन फिर भी कुछ छात्र फंसे कर रह गए थे। इनके रहने और भोजन की व्यवस्था हॉस्टल में ही की जा रही है। कोई जरूरत पड़ने पर विश्वविद्यालय इनकी मदद के लिए तैयार रह रहा है। -प्रो. सुनील कुमार, कुलपति आरजीपीवी अधिकांश छात्रों को लॉकडाउन के पहले ही घर भेज दिया गया था। लेकिन करीब 50 छात्र अभी भी हॉस्टल में रह रहे हैं। इनके भोजन की व्यवस्था बीयू की तरफ से की जा रही है। इन्हें शारीरिक दूरी बनाने के हिसाब से अलग अलग हॉस्टल में शिफ्ट किया गया है। इनके स्वास्थ्य पर भी लगातार नजर रखी जा रही है। कोई भी स्थिति में यह छात्र विश्वविद्यालय प्रबंधन से संपर्क कर सकते हैं। इन्हें आपातकालीन नंबर भी दिए गए हैं।