नगरीय निकायों में नए साल से ऑनलाइन ही जमा होंगे सभी तरह के टैक्स

भोपाल। नगरीय निकायों को दिए जाने वाले सभी तरह के कर का भुगतान नए साल से केवल ऑनलाइन ही हो सकेगा। यही नहीं निकायों में भी केवल एक ही बैंक खाता होगा। इसी से आय व व्यय का हिसाब किताब तैयार होगा। यह कदम नगरीय निकायों में वित्तीय गड़बडिय़ां रोकने के इरादे से उठाया गया है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान विभागीय समीक्षा बैठकों में लगातार इस पर जोर देते रहे हैं। दरअसल,कोविड महामारी के कारण उत्पन्न चुनौतियों से निपटने के लिए भारत सरकार ने विशेष आर्थिक पैकेज के तहत कुछ सुधार कार्यक्रमों की शर्तें भी तय की है। इनमें एक राष्ट्र, एक राशन कार्ड व्यवस्था लागू करना, करोबारी सुगमता से जुड़े सुधार, शहरी,स्थानीय निकायों और बिजली क्षेत्र से जुड़े सुधार शामिल हैं। मप्र इन शर्तों को लागू करने में अव्वल है। निकायों में एकल खाता व्यवस्था इसी सुधार का एक हिस्सा है।
अभी 50 तरह के खाते
प्रदेश के नगरीय निकायों में योजनाओं के अनुसार अभी 50 तरह के खाते हैं। इसके चलते यह पता लगाना आसान नहीं होता,कि निकाय में राजस्व के आय-व्यय का पता लगाना आसान नहीं होता। इसके चलते वित्तीय गड़बडिय़ों की शिकायतें भी आम होती है। इन्हें पकड़ पाना भी आसान नहीं होता।
जनवरी 2021 से सभी निकाय दस से ज्यादा बैंक खाते नहीं रख सकेंगे और आय-व्यय के लिए केवल एक खाते का इस्तेमाल होगा। यही नहीं सभी तरह के टैक्स ऑनलाइन लिए जाएंगे। यदि कोई टैक्स जमा करने वार्ड कार्यालय भी पहुंचता है, तो भी उसका टैक्स ऑनलाइन ही जमा कराया जाएगा। अन्य खातों में जमा रकम सक्रिय रखे जाने वालों खातों में स्थानांतरित करने की प्रक्रिया जारी है। यह व्यवस्था प्रदेश के सभी नगर निगमों,नगर पालिकाओं व नगर परिषदों में लागू होगी। इसका यह फायदा होगा कि किसी भी कार्य के लिए शासन से आने वाली राशि और खर्च होने वाली राशि का हिसाब आसानी से रखा जा सकेगा।
हर जोन के लिए भी होगा एक खाता
भोपाल, ग्वालियर, इंदौर, जबलपुर और उज्जैन नगर निगम में जोन व्यवस्था लागू है। इन निकायों में जोन स्तर पर भी एक खाता अलग से भी संचालित किया जा सकेगा। यहां एक अधिकारी आय-व्यय का हिसाब रखने के लिए अलग से नियुक्त होगा। वह हर माह बैंक से लेन-देन का मिलान खाते से करेगा और 10 तारीख तक रिपोर्ट देगा। ये खाता ई-नगर पालिका से भी जुड़ा रहेगा, जो राज्य स्तर के अधिकारियों की निगाह में रहेगा।
विशेष योजना के लिए अलग खाता
निकायों को केंद्र और राज्य सरकार की विशेष योजनाओं के लिए अलग खाता रखने की इजाजत होगी, पर सामान्य योजनाओं के लिए 10 से ज्यादा खाते रखना चाहते हैं, तो विभाग के आयुक्त से लिखित अनुमति लेनी होगी।